*स्वतंत्रता की छाया में छिपा राष्ट्रद्रोह: एक ऐसा साज़िश अंधेरा जो देश की जड़ों को खोखला कर रहा है*
जहां हमारे जवान देश के लिए sacrifice कर रहे हैं,वहां सोशल मीडिया की आड़ में देशद्रोह करना अब tolerable नहीं।
भारत जैसे विशाल लोकतंत्र की सबसे बड़ी पूंजी उसकी जनता का विश्वास और उसकी सेना का बलिदान है। हमारी सीमाओं की सुरक्षा में तैनात वह जवान, जो तापमान के कहर, भूख की पीड़ा और नींद की थकावट से ऊपर उठकर सिर्फ राष्ट्र के सम्मान की रक्षा करता है, वास्तव में उस स्वतंत्रता का प्रहरी है जिसका हम सभी उपभोग करते हैं। लेकिन विडंबना यह है कि जब ऐसे वीर जवान हर सांस में “भारत माता की जय” का मंत्र लिए खड़े हैं, तब देश के भीतर कुछ लोग जिन्हें नाम, पैसे और सोशल मीडिया की लोकप्रियता ने अंधा कर दिया है राष्ट्रविरोधी कार्यों में लिप्त पाए जा रहे हैं।
हाल ही में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या सोशल मीडिया की आज़ादी कुछ लोगों को इस हद तक गुमराह कर सकती है कि वे देश की सुरक्षा से समझौता करने लगें? बताया जा रहा है कि उनका संबंध पाकिस्तान से रहा, जहाँ उन्होंने यात्रा की, वीडियो बनाए और संदेहास्पद गतिविधियों में शामिल रहीं।यह केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं,बल्कि पूरे डिजिटल समाज के लिए एक चेतावनी है देश के विरुद्ध खड़ा होने वाला कोई भी नागरिक, चाहे वह कितना भी लोकप्रिय क्यों न हो, कानून और राष्ट्र की नज़र से नहीं बच सकता।
हमारा संविधान हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता कभी भी देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा से ऊपर नहीं हो सकती। यह सोच खतरनाक है कि किसी भी प्लेटफॉर्म की प्रसिद्धि हमें राष्ट्रहित से बड़ा बना सकती है। और यही वह भूल है जो आज के कुछ युवाओं को गुमराह कर रही है।
सेना का जवान अपने परिवार से दूर, त्योहारों से दूर, सुख-सुविधाओं से दूर रहकर बस एक चीज़ के लिए जीता है भारत की मिट्टी की रक्षा।वह भूखा रह सकता है, प्यासा रह सकता है, लेकिन राष्ट्र को नीचा नहीं देख सकता। उसका हर दिन तपस्या है,और उसका हर बलिदान इतिहास की अमूल्य संपत्ति।ऐसे में अगर देश के भीतर बैठा कोई व्यक्ति, केवल कुछ हज़ार व्यूज़ और डॉलर की लालच में दुश्मन देशों से सांठगांठ करता है, तो वह न केवल देशद्रोही है, बल्कि प्रत्येक सैनिक की शहादत का अपमान भी है।
आज ज़रूरत है उस जागरूकता की,जो सिर्फ भाषणों में न हो,बल्कि व्यवहार में दिखाई दे।हर यूट्यूबर, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर को यह बात समझनी होगी कि आपके हर शब्द,हर वीडियो और हर पोस्ट की सामाजिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।अगर आप देश की छवि को प्रभावित करते हैं,तो आप पर भी देश के प्रति जवाबदेही है।
यह केवल सरकार या सुरक्षा एजेंसियों की ज़िम्मेदारी नहीं कि वे ऐसे मामलों पर कार्रवाई करें।समाज के रूप में भी यह हमारा दायित्व है कि हम ग़लत को ग़लत कहें। चुप्पी भी कई बार अपराध को बढ़ावा देती है। आज जो ग़लती किसी और की है, कल वह हमारे बच्चों के भविष्य पर असर डालेगी। अगर आज देश के भीतर गद्दारी को हम नजरअंदाज करते हैं, तो कल वह गद्दारी हमारी सरहदों को भी कमजोर कर देगी।इसलिए यह समय है जागने का, चेतने का, और अपने कर्तव्यों को पहचानने का। देश सिर्फ सरहदों से नहीं बचता, वह भीतर के नागरिकों की निष्ठा से भी सुरक्षित रहता है। जो देशभक्ति का नाटक करते हैं लेकिन भीतर से देश के खिलाफ साजिशों में शामिल हैं, उन्हें यह याद रखना चाहिए ग़लत करने का परिणाम देर से आता है, लेकिन निश्चित आता है।
भारत जैसे देश को बाहरी हमलों से कम,भीतर की गद्दारी से ज्यादा खतरा है।और यह खतरा तभी रुकेगा जब हर नागरिक अपने भीतर एक प्रहरी,एक सैनिक और एक सजग राष्ट्रवादी को जन्म देगा।हम सबकी चुप्पी अब और बर्दाश्त नहीं की जा सकती।यह समय है अपनी आवाज़ बुलंद करने का उनके खिलाफ,जो भारत माता की पीठ में खंजर घोंप रहे हैं,और उनके पक्ष में,जो सीमाओं पर अपनी जान हथेली पर रखकर हमें सुरक्षित रखने में लगे हैं।
-पंडित कान्हा शास्त्री
(ज्योतिर्विद-लेखक और सामाजिक चिंतक)