गिरौदपुरी धाम, मड़वा सरहद में स्थित है ‘सतनाम धर्मशाला’*
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*सतनाम धर्मशाला के सेवक मोहन लाल पुरैना को सेवा कार्य हेतु किया गया सम्मानित*
गिरौदपुरी धाम | सतनामी समाज की आस्था का केंद्र, गिरौदपुरी धाम, मड़वा सरहद क्षेत्र में भव्य सतनाम धर्मशाला का निर्माण किया गया है।
इस पवित्र भूमि पर निर्मित इस भव्य धर्मशाला में श्री मोहन लाल पुरैना, श्री सी.एस. सांडे एवं उनके सहयोगी निस्वार्थ भाव से सेवा कार्य कर रहे हैं।
उनकी सेवाओं की सराहना करते हुए प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज के जिला प्रवक्ता रायगढ़ श्री राकेश नारायण बंजारे द्वारा उन्हें अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
गिरौदपुरी धाम वह पुण्य भूमि है जहाँ बाबा गुरु घासीदास जी का जन्म, तप और कर्म हुआ था।
यह स्थान मानव समाज की श्रद्धा, प्रेरणा और चेतना का केंद्र है, जहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन हेतु पहुंचते हैं।
इस पावन स्थल से कुछ किलोमीटर पहले मड़वा सरहद में समाज के सहयोग से यह विशाल सतनाम धर्मशाला निर्मित की गई है, जहाँ श्रद्धालुओं के ठहरने हेतु उत्तम सुविधाएं उपलब्ध हैं।
करीब 15,500 वर्गफुट में फैली इस धर्मशाला में 30 अतिथि कक्ष, 2 डॉरमेट्री हॉल, स्वागत कक्ष, भोजनालय तथा सुसज्जित रसोईघर की सुविधा है।
यहाँ सेवा दे रहे श्री मोहन लाल पुरैना, श्री सी.एस. सांडे और उनके साथीगण अपने कर्तव्यों का निर्वहन अत्यंत निष्ठा, विनम्रता एवं जागरूकता के साथ कर रहे हैं।
उनके सेवाभाव को देख गिरौदपुरी धाम प्रवास के दौरान श्री राकेश नारायण बंजारे ने उन्हें समाज की ओर से अंगवस्त्र प्रदानकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर श्री बंजारे ने उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि “जिस भावना से समाज ने यह धर्मशाला बनवाई है, उसी श्रद्धा और समर्पण से मोहन लाल जी, सांडे जी और उनके साथी सेवा कर रहे हैं। उनकी सेवा भावना यहाँ स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। समाज के ऐसे सेवाभावी व्यक्तित्वों के प्रति हम सब नतमस्तक हैं। इनका सम्मान करना हम सबका कर्तव्य है।”