डॉ. राम विजय शर्मा का रैनखोल में मोवार जनजाति पर शोध कैम्प आयोजित
सक्ती । डॉ राम विजय शर्मा, शोधकर्ता एवं इतिहासकार, छत्तीसगढ़ ने विगत दिनों रैनखोल में तीन दिवसीय शोध केम्प का आयोजन कर मोवार
जनजाति पर शोध किया। रैनखोल सक्ती तहसील एवं सक्ती जिला के अंतर्गत एक आदिवासी गांव है। डॉ. राम विजय शर्मा ने रैनखोल को छत्तीसगढ़ का रोम घोषित किया। क्योंकि जिस तरह इटली की राजधानी रोम सात पहाड़ियों से घिरा है उसी प्रकार रैनखोल भी सात पहाड़ियों से घिरा है। (1) रक्सा करखा पहाडी (2) टोपर माथा पहाड़ी उर्फ खरही कोटा पहाडी (3) केरादमक पहाड़ी (4) गोसाई विल पहाड़ी उर्फ पंचवटी पहाड़ी (5) रमहोती पहाडी उर्फ लिखाटोपा पहाडी (6) बम्हनीरानी पहाडी तथा (7) कुकरादमक पहाड़ी। डॉ शर्मा ने सातों पहाडियों पर चढ़ने के लिए लिफ्ट लगाने हेतु शासन को प्रस्ताव भेजने की बात कही तथा रैनखोल को सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने हेतु एवं रैनखोल में दो मंजिला विश्राम गृह के निर्माण हेतु शासन को प्रस्ताव भेजने की बात कही। ताकि भारत एवं विश्व के पर्यटक भ्रमण हेतु आये तो उन्हें रूकने ठहरने की व्यवस्था हो तथा रेन खोल का नाम न केवल छत्तीसगढ़ और भारत के पर्यटन मानचित्र पर बल्कि विश्व के पर्यटन मानचित्र पर दर्ज हो और यहां की आदिवासी संस्कृति का विश्व में प्रचार हो। डॉ. शर्मा ने रैनखोल में भगवान आदिवासी महाकवि कालीदास पंडो की मंदिर स्थापना भी आदिवासी परम्परा के अनुसार किया।
मोवार जनजाति में मौवार, मौआर, मन्नेवार भी शामिल है। मोवार जनजाति वर्तमान में अघोषित जनजाति के रूप में है। डॉ. शर्मा ने बताया कि मोवार
जनजाति में जनजाति समाज के सारे पारम्परिक लक्षण, उनकी रीति-रिवाज, देवी-देवता, शादी-विवाह, पूजा-पाठ आदि आदिम जनजाति से पूर्णतः मेल खाते है। उन्होंने आगे बताया कि आजादी के 75 वर्ष बीतने के बावजूद मोवार जनजाति का जनजाति की सूची में शामिल न हो पाना आश्चर्यजनक है। जबकि रैनखोल के 1916-17 के भू-अभिलेख में मोवार जनजाति उल्लेखित है। सेन्ट्रल प्रोविन्सेस एवं बरार में भी मोवार जनजाति को आदिम जनजाति में रखा गया था तथा म.प्र. में भी 1971-72 में आदिम जनजाति के रूप में दर्ज थी। शासन को उन्हें आदिम जनजाति के रूप में दर्ज करने हेतु प्रस्ताव भेजा जायेगा। ताकि उनके बाल-बच्चों को शासन से मिलने वाले लाभ तथा सरकारी नौकरियों में लाभ मिल सके। शोध केम्प में मोवार समाज के अध्यक्ष उदित नारायण जी, सचिव लक्ष्मीनारायण मैत्री, फागूलाल मन्नेवार, लक्ष्मी प्रसाद मन्नेवार, हीराराम मैत्री, नीलकुवर मैत्री छत्तराम मोवार, पीतर सिंह मोवार, रामाधार मैत्री, मीरा बाई मैत्री, दिलेश्वरी बाई मोवार घुरवाराम सिदार, पुष्पेन्द मोवार, लोचन बाई मोवार, कलेश्वरी बाई मैत्री, धनेश्वर सिंह मैत्री, श्याम बाई मोवार, धनीराम मोवार तथा अन्य ग्रामीण जनता उपस्थित रहकर शोध कैम्प को सफल बनाये।