रायपुर (दुर्गा प्रसाद बंजारे): चरोदा दौंदे कला प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क पर पांच गांवों के ग्रामीणों ने जब सड़क पर उतरकर आंदोलन किया, तो उद्योगपतियों की तानाशाही चूर हो गई। ग्रामीणों ने इस सड़क की जर्जर स्थिति के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू किया, जिसके बाद उद्योगों ने उनकी मांगों को मानने का वादा किया।रायपुर-बिलासपुर हाइवे से जुड़ी यह सड़क ग्रामीणों के उपयोग के लिए बनाई गई थी, लेकिन दर्जनों औद्योगिक इकाइयों द्वारा भारी वाहनों की आवाजाही के कारण यह सड़क जर्जर हो गई। इसके चलते आए दिन दुर्घटनाएं होने लगीं, जिससे ग्रामीणों में चिंता बढ़ गई। कई बार धरना-प्रदर्शन करने के बावजूद जब प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की, तो ग्रामीणों ने उग्र आंदोलन का मन बनाया।5 जून से मोहदी, टाडा, नगरगांव, गौडी, टोर, अकोली आदि गांवों के ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया और भारी वाहनों की आवाजाही रोक दी। इस आंदोलन के चलते उद्योगों में खलबली मच गई और जो लोग पहले ग्रामीणों की बात सुनने को तैयार नहीं थे, वे अब उनसे चर्चा करने पहुंचे।तहसीलदार बाबूलाल कुर्रे की मौजूदगी में ग्रामीण जनप्रतिनिधियों और कांग्रेस नेताओं के बीच हुई चर्चा में उद्योगपतियों ने ग्रामीणों को वादा किया कि वे सड़क निर्माण, सड़क के दोनों तरफ रोशनी की व्यवस्था, प्रदूषण पर अंकुश और ग्रामीणों को सम्मान देने जैसी मांगों को पूरा करेंगे। इसके बाद ही ग्रामीणों ने अपना आंदोलन समाप्त किया।स्थानीय नेता दुर्गेश वर्मा, भावेश बघेल, रवि लहरी एवं ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों शालिक निषाद, दयानंद निषाद, निर्मल ढेवर, दर्शन वर्मा और हेमंत वर्मा ने कहा कि जो सड़क ग्रामीणों के लिए बनी है, उसका उपयोग उद्योगों द्वारा करना अनुचित है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उद्योग इसका उपयोग कर रहे हैं, तो इसका समुचित रखरखाव भी उन्हें करना चाहिए। उन्होंने उद्योगों से अनुरोध किया कि वे अपने वादे को जल्द पूरा करें।