*रक्षाबंधन पर्व पर कलाईयों में सजी राखियों की सुंदर छटा
*भाई-बहन के प्रेम, स्नेह और अपनापन का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया*
खरसिया | सावन-भादो की मीठी फुहारों और खुशगवार मौसम के बीच भाई-बहन के अटूट रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन पूरे उत्साह, उल्लास और भावनाओं के रंग में रंगा हुआ नज़र आया। सुबह से ही घर-आंगनों में पूजा की थालियों की खनक और मिठाइयों की महक फैलने लगी। बहनों ने भाइयों के माथे पर तिलक लगाया, आरती उतारी और कलाई पर सजी-संवरी राखियों को बांधकर उनके जीवन में खुशियों की लंबी डोर की कामना की। बदले में भाइयों ने बहनों को रक्षा का वचन देते हुए उपहार, मिठाइयाँ और ढेर सारा स्नेह भेंट किया।
त्योहार की रौनक इस बार और भी खास रही। बाज़ारों में रंग-बिरंगी राखियों की बहार, मोतियों और पत्थरों से जड़ी डिजाइन, मोरपंखी आकृतियाँ और हस्तनिर्मित धागों का अद्भुत संगम लोगों का मन मोह रहा था। घर-घर में सजी थालियाँ, गुलाब की पंखुड़ियों, अक्षत, दीपक और मिठाइयों से भरी, त्योहार की पवित्रता को और निखार रही थीं।
आज के दिन भाइयों की कलाई पर ढेरों राखियों की कतारें जगमगा रही थीं, मानो रंग-बिरंगे फूलों की माला कलाई पर सज गई हो। यह दृश्य इस पर्व के असली अर्थ को बयान करता है कि राखी सिर्फ धागा नहीं बल्कि रिश्तों की गहराई, अपनापन और जीवनभर के साथ का वचन है।
शहर और गांवों में इस अवसर पर परिवारिक मेल-मुलाकात, हंसी-ठिठोली और बचपन की यादों का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। बहनों के आगमन से घर-आंगन जैसे जीवंत हो उठे और बच्चों की किलकारियों ने माहौल को बेहद आनंदमय बना दिया।
रक्षाबंधन ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि चाहे वक्त कितना भी बदल जाए, भाई-बहन का रिश्ता सदा अटूट, पवित्र और प्रेम से भरा रहेगा।

