जांजगीर-चांपा और सक्ती में अवैध वसूली का खुला कारोबार, नगर सेना कमांडेंट पर गंभीर आरोप
जांजगीर/सक्ती: जांजगीर-चांपा और नवगठित सक्ती जिले में अवैध वसूली का एक बड़ा कारोबार चलने की खबर सामने आ रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इन दोनों जिलों के आबकारी और परिवहन विभाग में तैनात नगर सेना के जवान अपने कमांडेंट को हर महीने मोटी रकम पहुंचा रहे हैं।
आरोप है कि नगर सेना कमांडेंट सुश्री योग्यता साहू की तैनाती के बाद से ही जिले के नगर सैनिकों को अलग-अलग विभागों में तैनात कर वसूली की खुली छूट दे दी गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उच्च कार्यालय और अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करते हुए इन जवानों की तैनाती बार-बार एक ही जगह पर मोटी रकम लेकर की जाती है। परिवहन विभाग में लंबे समय से मात्र 2 जवान ही जमे हुए हैं, वहीं आबकारी विभाग में भी बार-बार उन्हीं की तैनाती की जाती है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि महिला सैनिकों को घर बैठाकर वेतन दिया जाता है और उस वेतन का 50% स्वयं जवान उपस्थित होकर कमांडेंट को देते हैं। दबंगई का आलम यह है कि कमांडेंट कथित तौर पर समस्त वसूली खुद अपने कार्यालय और बंगले में करती हैं। बंगले पर 4-5 महिला और पुरुष सैनिक तैनात हैं, जो उनके घर और बच्चे की देखभाल के साथ-साथ वसूली के काम में भी सहयोग करते हैं।
आरोप यह भी है कि जो सैनिक मोटी रकम नहीं देता, उसे आए दिन परेशान किया जाता है और निलंबित करने या नौकरी से बर्खास्त करने जैसी धमकियां दी जाती हैं।
विभाग में निलंबन और बहाली तो एक खेल बन गया है। छोटी सी गलती में भी, जिसमें सामान्य सजा से काम चल सकता है, उसमें भी कमांडेंट द्वारा निलंबन कर दिया जाता है और फिर बहाली के लिए स्वयं सौदेबाजी की जाती है। 19 हजार रुपये पाने वाला गरीब सैनिक बेरोजगारी से बचने के लिए 10 से 15 हजार रुपये तक देकर अपनी बहाली कराता है।
अब सवाल यह उठता है कि यदि एक वर्दीधारी संस्था में बैठे उच्च अधिकारी द्वारा अपने ही अधीन कर्मचारियों पर इस प्रकार का कृत्य किया जा रहा है, तो गरीब जवान अपनी वेदना किसके सामने रखें? यह मामला निश्चित रूप से जांच का विषय है और संबंधित अधिकारियों को इस पर संज्ञान लेना चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके और पीड़ित जवानों को न्याय मिल सके।