Saturday, April 19, 2025
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डम- डम डमरू बाजे

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डम- डम डमरू बाजे

डम-डम डम-डम डमरू बाजे,
मेरे भोलेनाथ की।
साथ में नंदी -भृंगी नाचे,
शिव शंकर दीनानाथ की।
नीलकंठ मेरे भोले -भाले,
भक्तों के प्रिय रखवाले।
कष्टों से मुक्ति पाते हैं,
जब बाबा का ध्यान लगाते हैं।
हे महाकाल! हे आदिदेव!
हे चंद्रमौली, हे जटाधारी।
अनंत नाम तेरे हैं,
बाबा मेरे त्रिपुरारी।
मन की भाषा तू ही समझे,
कैलाश पति! हे भीमेश्वर!
हो तीनों लोकों के स्वामी,
हे भोलेनाथ! हे सिद्धेश्वर!
हे शंभूनाथ!मेरा भाग्य विधाता तू है।
जीवन के इस कठिन पथ पर,
सुगम मार्ग दिखाने वाला तू है।
बर्फीले पर्वत पर रहकर,
भक्तों को राजमहल देने वाला तू है।
जब-जब विपत्तियों ने मुझे घेरा है,
काल का अंधकार हुआ घनेरा है।
तब-तब मेरे बाबा त्रिकालदर्शी!
तूने ही किया भयशून्य निर्मल सवेरा है।
तूने ही किया भयशून्य निर्मल सवेरा है।

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