Friday, April 18, 2025
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राज्य स्तरीय सामाजिक साहित्यकार संगोष्ठी आयोजित

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*राज्य स्तरीय सामाजिक साहित्यकार संगोष्ठी आयोजित*
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*रायगढ़ जिले से राकेश नारायण बंजारे आमंत्रित थे आयोजन में*
*उन्होंने डॉ भीमराव अंबेडकर शिक्षण संस्थान छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय सामाजिक साहित्यकार संगोष्ठी आयोजन को साहित्यिक चेतना के दृष्टिकोण से स्वागतेय व वंदनीय पहल बताया।*

मुंगेली | शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवा हेतु छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 2005 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत व तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के करकमलों से गुरूघासीदास सम्मान प्राप्त डॉ भीमराव अंबेडकर शिक्षण संस्थान छत्तीसगढ़ द्वारा एक दिवसीय राज्य स्तरीय सामाजिक साहित्यकार संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम उपस्थित अतिथियों व साहित्यकारों द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। सभी अतिथियों का स्वागत पुष्प अर्पित करते हुए चंदन लगाकर किया गया।
अतिथियों के स्वागत के पश्चात संस्था अध्यक्ष राजेंद्र दिवाकर ने संगोष्ठी आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, “समाज में अज्ञानता, अशिक्षा, रूढ़िवादी, अन्याय, अत्याचार के विरुद्ध एकजुट होकर एकता, भाईचारा, त्याग, सेवा, सहयोग, सहकार एवं परोपकार के लिए अच्छे संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए साहित्य ही एक प्रमुख माध्यम है। ऐसे साहित्य की रचना से समाज में नई चेतना का संचार होता है। सामाजिक शैक्षणिक संस्थाओं के लिए ऐसे साहित्य उपलब्ध कराने की आवश्यकता है, इस पर चरणबद्ध ढंग से काम कर सफलता अर्जित की जा सकती है। इस कार्य को एक समय सीमा के अंदर दृढ़ता पूर्वक पूर्ण कर साहित्य रचना के क्षेत्र में सार्थकता को सिद्ध करना अति आवश्यक है। साहित्य रचना को चार भागों में बांट कर विभिन्न विषयों में, जैसे हमारे प्रेरणा स्रोत महापुरुष, गौरवान्वित करने वाले वीरशहीदों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ-साथ कला, शिक्षा, विज्ञान, कृषि, तकनीकी, वैज्ञानिक, राज्य एवं भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में उत्कृष्ट योगदान देने वाले अधिकारियों के जीवन गाथा एवं अनुभव को लेख के रूप में तैयार कर जागरूकता का परिचय देवें ताकि नई पीढ़ी को एक दिशा मिल सके। इस हेतु एक लेखक अपने मनपसंद विषय या शीर्षक का चयन कर लेख लिख सकते हैं।”
खरसिया रायगढ़ से पधारे साहित्यकार राकेश नारायण बंजारे ने कहा कि साहित्यकारों को उनके लेखन के लिए समाज व संगठन द्वारा प्रोत्साहन मिलने से उनका मनोबल बढ़ता है व साथ-साथ उनके सृजनात्मक क्षमता में भी व्यापक वृद्धि होती है। इस तरह विभिन्न साहित्यिक आयोजनों से प्रतिभावों को आगे आने का अवसर मिलता है व उनके विचारों से समाज परिचित होता है। डॉ.भीम राव अंबेडकर शिक्षण संस्थान का यह प्रयास स्वागतेय व वंदनीय है। मुझे खुशी है कि आयोजन में सम्मिलित होने का अवसर मिला। इस अवसर पर पधारे प्रबुद्धजनों के विचारों से सभी साहित्यकार तो परिचित होंगे ही साथ ही नवसाहित्यकारों को विशेष मार्गदर्शन मिलेगा।
राज्य शैक्षिक एवं अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद रायपुर से आर पी मिरे ने नई शिक्षा नीति के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बच्चों में उम्र के अनुसार पड़ने वाले प्रभावों को मनोवैज्ञानिक ढंग से ध्यान में रखते हुए लेख में आवश्यकतानुसार चित्रों को रंगीन आकर्षक एवं प्रभावकारी बनाकर क्रिएटिविटी बढ़ाई जा सकती है। बहुभाषा विकास पर भी जोर दिया जाना चाहिए। उच्च शिक्षा अध्ययन या कार्य के लिए यदि दूसरे राज्यों में जाते हैं तो उसे वहां की भाषा की जानकारी होना बहुत जरूरी होता है जिससे कि वह एक दूसरे से निःसंकोच संवाद कर सकें। व्यक्तित्व विकास अच्छी शिक्षा की वजह से ही संभव हो सकता है, हमें अच्छी शिक्षा पर भी जोर दिया जाना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में यह संस्थान जिस पायदान पर आगे बढ़ रहा है वह हमारे प्रदेश के लिए नालंदा परिसर से कम नहीं है। हम सभी को चाहिए कि यह संस्थानआगे चलकर एक यूनिवर्सिटी के रूप में दिखाई दे। साहित्य लेखन में किसी जाति धर्म की बात ना कर संवैधानिक रूप से मानवतावादी, समता मूलक विचारधारा का अधिक से अधिक समावेश होना चाहिए जिससे सभी को प्रेरणा मिल सके। साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने का यह एक अच्छा प्रयास है।
नवागढ़ बेमेतरा से योगेश बंजारे ने अपनी कविता “हे समर्पित मोर जीवन” के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि एक छोटा सा प्रयास माचिस की एक तीली की भांति जरूर प्रतीत होता है परंतु यही तीली दुनिया भर में आग लगा देती है। संस्थान द्वारा किए जा रहे यही लघु प्रयास साहित्य जगत में एक दिन क्रांति लायेगी। हम संस्था के इस प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हैं।
बेमेतरा से ही पधारे कवि, गीतकार रमेश भास्कर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि संस्थान का यह प्रयास बेहद महत्वपूर्ण है। सभी साहित्यकारों को आमंत्रित कर संस्थान ने शिक्षा के साथ-साथ साहित्यिक जागरूकता का परिचय दिया है। इस अवसर उन्होंने प्रेरक गीत सुनाकर सभी का उत्साहवर्धन किया।
अजाक्स जिलाध्यक्ष लक्ष्मीकांत जडेजा ने कहा कि साहित्यकार कठिन परिश्रम करके लोगों की भावनाओं को समझते हुए उसे लिपिबद्ध करते हैं। लेख को प्रकाशित करवाते हैं। आज मोबाइल मीडिया का जमाना है। पुस्तक की कीमत कम क्यों ना हो लोग उसे ना खरीद कर महंगे खिलौने आदि खरीदते हैं। बाजारों मेलों में उपलब्ध होने वाले साहित्य को खरीद कर पढ़ें, इससे साहित्यकारों को प्रोत्साहन मिलेगा, इसमें उनके मौलिक विचार हमारे परिवार एवं व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
कार्यक्रम के अंत में संस्थान के प्रादेशिक सचिव एवं व्यवस्थापक एच आर भास्कर ने कहा कि आप सभी ने संगोष्ठी शुभारंभ के अवसर पर जो दीपक प्रज्वलित किए हैं साहित्य रचना के क्षेत्र में भी यह दीप सदैव जलता रहे, हम सभी का यही प्रयास होना चाहिए। आप सभी ने महत्वपूर्ण समय दिया इसके लिए यह संस्थान आप सभी का सादर आभार व्यक्त करता है।
कार्यक्रम के समापन पूर्व उन सभी साहित्यकारों को, जो आज हमारे बीच नहीं हैं, उनके स्मरण में दो मिनट मौन श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम का सफल संचालन संस्था के वरिष्ठ सदस्य शत्रुघन कांत ने किया।
इस साहित्यिक संगोष्ठी में मुंगेली, कवर्धा, बेमेतरा, रायगढ़, रायपुर जिले से जागरूक साहित्यकार विशेष रूप से उपस्थित रहे जिनका संस्थान द्वारा हार्दिक आभार व्यक्त किया गया।

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