सावन सोमवार के दिन सिद्धेश्वर नाथ मंदिर में कांवड़ियों के लगे भीड़
खरसिया |राष्ट्रीय राजमार्ग 49 रायगढ़ बिलासपुर मार्ग अंतर्गत बोराई नदी के समीप पहाड़ों से घिरा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर बरगढ़ स्थित है जहां सावन के महीने में भक्तों का ताता लगा रहता है वही सावन महीने के दूसरे सोमवार को शिव भक्तों की कतरे बढ़ती जा रही है सभी कवडे अपनी मुरादे लेकर बाबा सिद्धेश्वर दर्शन कर जल अभिषेक करते हैं जिसे आसपास के छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र से भक्तों आते हैं सभी भक्तों का सिद्धेश्वर नाथ मनोकामना पूरी करते हैं सनातन धर्म में सावन महीने का विशेष महत्व है। इस महीने में भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त सोमवार का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि सावन सोमवार का व्रत रखने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में सावन सोमवार पर विशेष उपाय करने का वर्णन है। इन उपायों को करने से आर्थिक तंगी दूर हो जाती है। अगर आप भी धन संबंधी परेशानी से निजात पाना चाहते हैं, तो सावन सोमवार पर भगवान शिव की प्रिय चीजें जरूर घर ले आएं। आइए जानते हैं-
भगवान शिव की प्रिय चीजें
अगर आप वास्तु दोष को दूर करना चाहते हैं, तो सावन के दूसरे सोमवार पर डमरू जरूर घर ले आएं। वहीं, पूजा के पश्चात घर के सभी कमरों में कुछ समय के लि डमरू बजाएं। आप चाहे तो घर के मुख्य द्वार पर भी बजा सकते हैं। इस उपाय को करने से वास्तु दोष दूर हो जाता है। अगर आप सुख-समृद्धि एवं धन में वृद्धि पाना चाहते हैं, तो सावन माह के दूसरे सोमवार पर पत्थर या चांदी से निर्मित नंदी (बैल) घर ले आएं। नंदी जी को मंदिर में स्थापित कर पूजा करें। इसक पश्चात, आप चाहे तो नंदी जी को तिजोरी में भी रख सकते हैं। अगर आप आर्थिक तंगी से निजात पाना चाहते हैं, तो सावन के दूसरे सोमवार पर चांदी से निर्मित बेलपत्र घर लें आएं। अब विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। इस समय बेलपत्र शिवजी को अर्पित करें। वहीं, पूजा समापन के पश्चात बेलपत्र को घर की तिजोरी में रख दें। अगर आप घर पर शिवलिंग स्थापित करना चाहते हैं, तो सावन सोमवार पर पारद शिवलिंग ला सकते हैं। स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से पारद शिवलिंग को स्थापित कर भगवान शिव की पूजा करें। आप पारद शिवलिंग स्थापित करने के लिए पंडित जी की भी सलाह ले सकते हैं।