*बापू की 76 वीं पुण्यतिथि पर उनके कुछ विचारों का स्मरण
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💠 आप मुझे बेड़ियों से जकड़ सकते हैं, यातना भी दे सकते हैं, यहाँ तक की आप इस शरीर को ख़त्म भी कर सकते हैं, लेकिन आप कदापि मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते।
💠 मैं मरने के लिए तैयार हूं, पर ऐसी कोई वज़ह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूं।
💠 पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे।
💠 आप नम्र तरीके से दुनिया को हिला सकते हैं।
💠 नफ़रत कभी भी नफ़रत से कम नहीं होती। नफ़रत कम करने के लिए प्रेम का आश्रय लेना आवश्यक है।
💠 मैं तुम्हें एक जंतर देता हूं। जब भी तुम्हें संदेह हो या तुम्हारा अहं तुम पर हावी होने लगे, तब यह कसौटी आजमाओ- जो सबसे गरीब और कमजोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा। क्या उससे उसे कुछ लाभ पहुंचेगा? क्या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य पर कुछ काबू पा सकेगा? यानि क्या उससे उन करोड़ों लोगों को स्वराज्य मिल सकेगा जिनके पेट भूखे हैं और आत्सा अतृप्त है? तब तुम देखोगे कि तुम्हारा संदेह मिट रहा है और अहं समाप्त हो जाएगा।
💠 समाचार पत्र एक जबरदस्त शक्ति है; किन्तु जिस प्रकार निरंकुश पानी का प्रवाह गाँव के गाँव डुबो देता है और फसल को नष्ट कर देता है, उसी प्रकार निरंकुश कलम का प्रवाह भी नाश की सृष्टि करता है।
बापू कभी मरे नहीं, महात्मा कभी मरते नहीं, अपने विचारों में वे आज भी जीवित हैं…. गांधी जी के विचार आज भी प्रासंगिक है, प्रासंगिक रहेंगे।
पुण्यतिथि पर नमन्…
— राकेश नारायण बंजारे
(स्वतंत्र लेखक) खरसिय