Saturday, June 7, 2025

जुदाई का सफ़र”

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“जुदाई का सफ़र” 

 

तेरी रूह में उतरकर तैरना चाहता था ।

तू दिल के किसी कोने को सहला गयी।।

तेरे दीदार की ख्वाइस थी निगाहों को।

पता नही कब आसमाँ बनकर छा गयी।।

 

मै ढूँढता रहा अंधेरों में जिसे ।

वो रौशनी बनकर तू समां गयी।।

तन्हाइयों ने बांध रखा था मुझे ।

तू जिन्दगी में तूफान लेके आ गयी।।

 

मैं सोंचता रहा कुछ कहने के लिए,

तू इशारों ही इशारों में बता गयी।

ढाई आखर प्रेम की ,

ये पाठ कैसी पढ़ा गयी ।।

 

अब ये चाँद क्या बताये क्यों जुदा है चाँदनी से ।

ये सुर क्यों बिखरे है मन की रागनी से।।

चलो पूछ लेता हूँ इस कलम से ✍️

मिलन की वो पल कहाँ गयी।।

 

*रचना* चंद्रपाल गवेल (चाँद)

ग्राम-कर्रापाली, पो. अडभार, जिला- सक्ति, पिन-495-695

मो. 8770639735 (छत्तीसगढ़)

 

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