“जुदाई का सफ़र”
तेरी रूह में उतरकर तैरना चाहता था ।
तू दिल के किसी कोने को सहला गयी।।
तेरे दीदार की ख्वाइस थी निगाहों को।
पता नही कब आसमाँ बनकर छा गयी।।
मै ढूँढता रहा अंधेरों में जिसे ।
वो रौशनी बनकर तू समां गयी।।
तन्हाइयों ने बांध रखा था मुझे ।
तू जिन्दगी में तूफान लेके आ गयी।।
मैं सोंचता रहा कुछ कहने के लिए,
तू इशारों ही इशारों में बता गयी।
ढाई आखर प्रेम की ,
ये पाठ कैसी पढ़ा गयी ।।
अब ये चाँद क्या बताये क्यों जुदा है चाँदनी से ।
ये सुर क्यों बिखरे है मन की रागनी से।।
चलो पूछ लेता हूँ इस कलम से ✍️
मिलन की वो पल कहाँ गयी।।
*रचना* चंद्रपाल गवेल (चाँद)
ग्राम-कर्रापाली, पो. अडभार, जिला- सक्ति, पिन-495-695
मो. 8770639735 (छत्तीसगढ़)