*ख़बर लगातार*
*तालाब में नहीं, घर में मज़दूरी! रोजगार सहायक की पत्नी और मां की फर्जी हाजिरी से रनपोटा पंचायत में हड़कंप!*
*पहले तो 5000 में बिका पीएम आवास! अब रोजगार सहायक मनोज साहू का ये दूसरा कारनामा*
सक्ती ज़िले के रनपोटा गांव में भ्रष्टाचार की परतें एक-एक कर खुल रही हैं। रोजगार सहायक मनोज साहू अब खुद ही योजनाओं का लाभार्थी बन बैठा है—वो भी अपने परिवार के नाम पर।
गंभीर आरोप:
मनरेगा (रोजगार गारंटी योजना) के तहत चल रहे तालाब निर्माण कार्य में मनोज साहू की पत्नी हुलेश्वरी साहू और मां दूजबाई साहू की हाजिरी लगातार दर्ज हो रही है—वो भी बिना काम किए, घर बैठे।
दैनिक रजिस्टर की जांच की जाए, तो यह फर्जीवाड़ा साफ-साफ सामने आ जाएगा।
इसका मतलब साफ है—सरकारी धन का सुनियोजित गबन।
*जनता का सीधा सवाल:*
> जब खुद रोजगार सहायक ही अपनी पत्नी और मां के नाम पर फर्जी हाजिरी चढ़ा सकता है, तो बाकी योजना का क्या भरोसा?
> क्या जांच अधिकारी अंधे हैं या जानबूझकर आंख मूंदे बैठे हैं?
> क्या अफसरशाही की चुप्पी, इस गड़बड़ी में मिलीभगत का संकेत नहीं देती?
*मांग दोहराई जा रही है:*
1. रोजगार सहायक मनोज साहू को तत्काल बर्खास्त किया जाए।
2. परिवार के नाम पर हुई वेतन वसूली की वित्तीय जांच कराई जाए।
3. दैनिक हाजिरी रजिस्टर की स्वतंत्र जांच हो।
4. पात्र हितग्राहियों को प्राथमिकता से योजना का लाभ दिया जाए।
अब फैसला प्रशासन को करना है—
> “या तो व्यवस्था को बचाएं, या भ्रष्ट अफसरों को!”