*छत्तीसगढ़ के सबले लंबा गुफा ‘बोतल्दा गुफा’ म होइस हर बछर कस एसों घलो भव्य मेला के शुरुआत*
रायगढ़ जिला के खरसिया तहसील म बसे बोतल्दा गॉंव के पहाड़ ऊपर स्थित श्रीसिद्ध गुफा ल छत्तीसगढ़ के सबले लंबा गुफा माने जाथे। ये गुफा हर केवल रोमांचक जगहा नोहे बल्कि एहर धार्मिक, ऐतिहासिक अउ प्राकृतिक धरोहर घलो हे।
बोतल्दा गुफा म हर साल माघ महिना म मेला भराथे। एसों के मेला भराय के शुभारंभ हो गे हे अउ दर्शनार्थी मन लगातार गुफा मेला देखे बर आत हें।
मेला हर मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष सप्तमी ले शुरू होके माघी पुन्नी तक लगभग एक हप्ता ले चलथे। बोतल्दा गुफा मेला के शुरूआत श्रीविष्णु महायज्ञ के संग होथे। हर साल ए मेला ल देखे जाय बर श्रद्धालु मन में भारी उत्साह रहिथे, फेर पहाड़ चढ़े हर थोकन तकलीफ दायक रथे। जेमन कभु पैदल नइ रेंगे रहें या कभु पहाड़ नइ चढ़े रहें तेमन ल थोकन दिक्कत होथे। तभो ले पहाड़ चढ़े के रोमांच हर कतको मोटहा मइनखे, मइ लोगन अउ लइका पिचका तक ल अपन आकर्षण म खीच लेथे। मेला देखे बर पहाड़ चढ़ोइया मन अपन संग पानी बॉटल, फल, नाश्ता, मुड़ ढाके बर गमछा, गुफा भीतर जाय बर टार्च व धर के जाथें। पहाड़ ऊपर म तो छोटे झरना हावे, फेर बीच म प्यास बुझाय बर पानी बॉटल राखे रथें। मेला जगहा म पूजा पाठ यज्ञ होत रथे। नाश्ता, फल-फलहरी बेचात रथे। पूजा पाठ बर नरियर, अगरबत्ती, फूल-पान बेचात रथे।
पहाड़ के ऊपर ल नीचे के नजारा हर भारी आकर्षक लागथे। न तो जादा ठण्डा अउ न जादा गर्मी, ऐसने मौसम म ए सुरम्य वातावरण हर मन ल मोह लेथे। एकरे सेती मेला मं आसपास के गॉंव के मनखे मन भारी संख्या मं शामिल होथे।
पहाड़ ऊपर म लगे मेला मं खइ-खजाना, खिलौना, टिकली-फुँदरी जइसे आनी-बानी के समान बेंचाथे। ये मेला हर घूमे किंदरे के संग पहाड़ चढ़े के रोमांच अउ प्राकृतिक नजारा के आनंद ल समेटे हे। एकर संगे-संग मनोरंजन के घलो एक महत्वपूर्ण अवसर होथे।
ए सब ले बढ़़के ए गुफा के ऐतिहासिक अउ धार्मिक महत्व हावय। बोतल्दा पहाड़ के लगभग 2000 फीट के ऊँचाई मं सिंह गुफा हर हावय। गुफा के दीवार मं हजारों बछर पुराना पशु शिकार के दृश्य अउ ज्यामितीय अलंकरण बने रहीस, जेहर प्राचीन समय के सभ्यता अउ कला के दर्शन कराय, अब कुछु घुमिल हो गे हे।
गुफा तक पहुंचे बर दो-ढाई किलोमीटर पहाड़ी रास्ता तय करे बर पड़थे, जेमा लगभग दो-ढाई घंटा लागथे। चढ़ई के दौरान झरना के कलकल आवाज कान मं सुकून भर देथे।
गुफा के मुंहटा हर संकरा हे, फेर भीतर बड़े कुरिया कस खुला जगहा हे, जिहां शंकर भगवान अउ अन्य देवी-देवता के मूर्ति स्थापित हे। भीतर घुप्प अंधियार रथे, एही अँधियार हॉल कस जगहा मं बड़ ऊपर ले एक बड़े सुराख ले सुरूज के रौशनी आत रथे। ओही रौशनी के चलते कुछ-कुछ उजियार के एहसास होथे, फेर ए जगहा ले आगू बड़के गुफा के भीतर जाय म घुप्प अँधियार के सामना करे ल परथे। वैसे तो गुफा म मेला समय कोनो जीव-जंतु के डेरा नइ रहे, फेर मेला ल छोड़ के आने दिन जाय म बहुत सावधानी के जरूरत पड़थे। गुफा के भीतर जम्मों समय चमगादड़ मन के चीं-चीं के आवाज गूंजत ऱथे, जेहर ए गुफा ल अद्भुत बनाथे।
गुफा के नीचे अटल रॉक गार्डन नाम के सुंदर जलप्रपात हावय, जेहर एक प्रमुख आकर्षण के केंद्र हे। ये झरना के कारण दूर-दूर ले मनखे मन पिकनिक मनाय अउ प्राकृतिक सौंदर्य के दर्शन करे बर आथें।
बोतल्दा पहाड़, झरना, घना जंगल अउ हरियाली मिलके ए जगहा ल मनोरम बनाथे। ए जगहा हर जंगल कस सुनसान नइए, अउ शहर कस भीड़-भाड़ वाला घलो नोहे, बल्कि मुख्य सड़क नेशनल हाइवे 49 ले लगे हे। पास म गॉंव हे जिहॉं मनखे मन के बोतल्दा झरना तक आना-जाना लगे रथे।
बोतल्दा गुफा अउ झरना तक कइ माध्यम ले पहुँचा जा सकत हे। एहर रायपुर ले 200 किमी, रायगढ़ ले 40 किमी, सक्ती ले 20 किमी अउ सबले नजदीकी रेलवे स्टेशन खरसिया ले मात्र 08 किमी दूरी म स्थित हे। एकर नजदीकी हवाई अड्डा बिलासपुर हर 120 किमी दूरिहा परथे।
बोतल्दा पहाड़ अउ झरना तक पहुंचे बर पक्की सड़क बने हे, जेमा दोपहिया अउ चारपहिया गाड़ी आसानी ले जा सकत हे।
बोतल्दा गुफा मेला हर केवल रोमांचक जगहा नोहे बल्कि एक धार्मिक आयोजन अउ हमर छत्तीसगढ़ के संस्कृति, आस्था अउ प्राकृतिक सौंदर्य के संगम हे। ये मेला मं गुफा के ऐतिहासिक महत्व, झरना के सुंदरता अउ मेला के उमंग सब झलकथे, जेहर हमर छत्तीसगढ़ के समृद्ध धरोहर ल परिभाषित करथे।
— राकेश नारायण बंजारे
खरसिया