*विचारधारा का प्रचार-प्रसार सीमित संसाधनों से भी किया जा सकता है — राकेश नारायण*
*ग्राम कछार में उत्साहपूर्वक मनाया गया बाबा साहब डॉ.अंबेडकर जन्मदिवस*
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*छोटे-छोटे बच्चों व प्रबुद्धगणों की रही विशेष उपस्थिति*
*शिक्षा, समता, स्वतंत्रता व भातृभाव का दिया गया संदेश*
रायगढ़ : संविधान निर्माता, मानवतावादी, मानवाधिकारों के पैरोकार, भारत रत्न बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर की 134 वीं जयंती समारोह ग्राम कछार में पूरे उत्साह के साथ मनाई गई।
महामना ज्योतिबा फुले सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों की विशेष उपस्थिति ने आयोजक व अतिथियों का मन मोह लिया।
सर्वप्रथम समता, स्वतंत्रता एवं भातृभाव के संदेशों के साथ बाबा साहब एवं तथागत गौतम बुद्ध के छायाचित्र पर दीपप्रज्ज्वलित करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
14 अप्रैल को महान चिंतक, अर्थशास्त्री, लेखक, बैरिस्टर, प्राध्यापक, बोधिसत्व, भारत रत्न बाबा साहब डॉ भीम राव अंबेडकर जी की जयंती देश के कोने-कोने में मनाई जाती है। जहॉं बड़े-बड़े शहरों व महलों में जयंती कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं वहीं सुदूर ग्रामीण अंचल के क्षेत्रों में भी बाबा साहेब श्रद्धापूर्वक याद किए जाते हैं। वैसे भी महापुरूषों की जयंती आयोजन संसाधनों की मोहताज नहीं रहती बल्कि बेहद सीमित संसाधनों में भी जनजागरूकतापूर्ण कार्यक्रम आयोजित कर बाबा साहेब के विचारों का प्रचार-प्रसार किया जा सकता है। ऐसे ही बेहद सीमित संसाधनों में महापुरूषों के विचारों के प्रचार-प्रसार का बीड़ा उठाए मनीराम बौद्ध जी रायगढ़ जिले के कछार क्षेत्र में सतत सक्रिय हैं जहॉं 14 अप्रैल को बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।
ना कोई तामझाम, ना कोई कानफोड़ू डीजे और ना ही किसी तरह संख्या बल की बाध्यता या कोई शक्ति प्रदर्शन। इसके स्थान पर बेहद सादे तरीके से छोटे-छोटे प्यारे-प्यारे बच्चों की उपस्थिति में बाबा साहेब की जयंती उत्साहपूर्वक मनाई गई।
उक्त आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में बहुजन चिंतक राकेश नारायण बंजारे सादर आमंत्रित थे। उन्होनें छोटे-छोटे बच्चों की उपस्थिति से बेहद प्रसन्नता जाहिर किया। अपने संबोधन में उन्होंने बाबा साहेब के शिक्षा पर विचार को फोकस करते हुए बच्चों को विद्याध्ययन को जीवन का प्रमुख लक्ष्य बनाने के लिए प्रेरित किया। बाबा साहेब की उपलब्धियों पर विचार रखते हुए उन्होंने कहा कि बाबा साहब डॉ अम्बेडकर की सर्वोच्च उपलब्धि इसमें नहीं कि वे अत्यंत मेधावान, प्रतिभाशाली या उच्च डिग्रीधारी व्यक्ति थे बल्कि उनकी विशेष उपलब्धि इसमें है कि वे मानवीय मूल्यों, मानवीय गरिमा व मानवीय अधिकारों के सर्वोच्च पैरोकार व महान चिंतक रहें हैं। उन्होंने अपनी ज्ञान, मेधा, उपलब्धि का सर्वोच्च उपयोग देश को संगठित करने, एकता के सूत्र में बांधने, समानता स्थापित करने में लगाया। देश की आधी आबादी महिलाओं की मुक्ति के लिए समय-समय पर अनेक महापुरुषों ने कार्य किया लेकिन वे बाबा साहब ही थे जिन्होंने न केवल कार्य किया अपितु महिलाओं के हितों को संविधान मे स्थान देकर संवैधानिक अधिकार भी बनाया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ की लोकप्रिय कवयित्री व सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका गुप्ता ‘प्रिया’ आमंत्रित थीं। उन्होंने बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर को भारतीय महिलाओं के मुक्तिदाता के रूप में याद करते हुए बताया कि यदि बाबा साहेब ने संविधान निर्माण कर महिलाओं के अधिकार सुरक्षित नहीं किए होते तो देश की आधी आबादी का स्वतंत्रतापूर्वक जीवनयापन व स्वतंत्र विकास संभव नहीं हो पाता। ये तो बाबा साहेब की दूरदर्शितापूर्ण सोच का परिणाम है कि उन्होंने भारतीय संविधान में प्रावधान कर महिलाओं को पुरूषों के समकक्ष खड़ा कर दिया। उन्होंने भारतीय संविधान में महिलाओं सहित अल्पसंख्यकों, उपेक्षित वर्गों व सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकार सुरक्षित रखे जिससे सबका समग्र विकास हो सके। कवयित्री प्रियंका गुप्ता ने महापुरूषों के कारवाँ को कछार क्षेत्र सहित दूर-दराज के गांवों में जन-जन तक पहुँचाने के मुहिम में लगे सम्माननीय मनीराम बौद्ध जी की विशेष प्रशंसा की, जो अपने मिशन में बगैर किसी चमक-धमक व संसाधन के जुनून के साथ जुटे हुए हैं।
कार्यक्रम को बाराद्वार सक्ती से पधारे अंबेडकर मिशनरी कार्यकर्ता एफ.आर. लहरे ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन कर रहे मनीराम बौद्ध ने बाबा साहब पर विचार रखते हुए कहा, “बाबा साहब भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री थे। वे महान् मानवतावादी, महाकारूणिक, भारतीय संविधान के शिल्पी, भारत गणराज्य के निर्माता व समाज में उपेक्षित पड़े हुए अधिसंख्य लोगों को समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले महामानव थे। उन्होंने जयंती कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति के लिए अतिथियों का समिति की ओर से विशेष आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम व्यवस्था में युवा कार्यकर्ता सहनी निषाद का विशेष योगदान रहा।
महामना ज्योतिबा फुले सेवा समिति कछार के संरक्षक मनीराम बौद्ध, अध्यक्ष ओमप्रकाश भारद्वाज, उपाध्यक्ष निर्मल दास व मधुसूदन सिदार, महासचिव तेजवंत व नीलकंठ पटेल, सचिव कृष्णा व यादराम मांझी, सहसचिव दयाराम पटेल व करमहा मांझी, कोषाध्यक्ष चंद्रपाल यादव का विशेष सहयोग रहा।

