सरकारी नियमों की उड़ रही धज्जियां, सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी निजी वाहनों से कर रहे कमाई
दुर्गेश यादव
जांजगीर।छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के स्पष्ट प्रावधानों के बावजूद जिले में कई सरकारी अधिकारी और कर्मचारी अपने पद और अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं। सरकारी नियमों के अनुसार, कर्मचारी अपनी संपत्ति या वाहन को व्यापारिक उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं कर सकते, लेकिन जांजगीर जिले में इसका उल्लंघन खुलेआम हो रहा है।
ताजा मामला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) कार्यालय का है, जहां सहायक ग्रेड-2 प्रवीण तिवारी ने अपनी पत्नी और अपने नाम पर पंजीकृत दो वाहनों को विभागीय कार्यों में लगाया है। बुलेरो (CG 11 BJ 6885) उनकी पत्नी के नाम पर है और सीएमएचओ कार्यालय में चल रही है, जबकि एक्सल 6 (CG 11 AZ 7853) प्रवीण तिवारी के नाम पर है, जिसे चिरायु नवागढ़ में इस्तेमाल किया जा रहा है।
बिना टैक्सी परमिट वाहनों का उपयोग
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन दोनों वाहनों के पास टैक्सी परमिट नहीं है, फिर भी इन्हें विभागीय कार्यों में उपयोग किया जा रहा है। इससे शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है। सरकारी विभागों द्वारा निजी वाहनों को किराए पर लेने के एवज में हर महीने 25-30 हजार रुपये का भुगतान किया जाता है।
सीएमएचओ की चुप्पी पर सवाल
सीएमएचओ स्वाति वंदना सिसोदिया से इस मुद्दे पर सवाल किया गया, तो उन्होंने पहले जांच करने की बात कही, लेकिन बाद में कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। जानकारों का मानना है कि स्वाति वंदना सिसोदिया खुद बुलेरो वाहन का उपयोग कर रही हैं, जिससे उनकी चुप्पी सवालों के घेरे में आ गई है।
कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन
सरकारी कर्मचारी केवल अपने नाम पर वाहन खरीद सकते हैं, लेकिन उसका व्यवसायिक उपयोग वर्जित है। इस नियम का उल्लंघन न केवल अनियमितता है, बल्कि इसके लिए सख्त दंड का प्रावधान भी है।
शासन को कार्रवाई की जरूरत
यह मामला सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की पोल खोलता है। शासन को चाहिए कि ऐसे मामलों की गहन जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। इससे न केवल सरकारी धन की हानि रुकेगी, बल्कि नियमों का पालन भी सुनिश्चित होगा।