एम. जी. कॉलेज के प्रोफेसर को नई खोज के लिए पेटेंट
रसायनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष हैं प्रथम आविष्कारक डॉ. मोहम्मद
खरसिया तरल धातुकर्म मार्ग के माध्यम से स्टील तैयार करने की है यह विधि मेडिकल इंप्लांट स्टील होंगे अधिक सरते और सुरक्षित इस स्टील की कोरोजन विरोधी क्षमता वर्तमान में प्रयुक्त मेडिकल ग्रेड के स्टील से भी अधिक
शा. महात्मा गांधी पी.जी. कॉलेज खरसिया, रायगढ़ के रसायनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. मोहम्मद तल्हा और उनकी टीम को हाई नाइट्रोजन ऑटेनिटिक स्टेनलेस स्टील निर्मित कने के लिए पेटेंट मिल गया है। तरल धातुकर्म मार्ग के माध्यम से स्टील तैयार करने की यह विधि नई और बहुत सस्ती है। यह हाई नाइट्रोजन स्टील वर्तमान में प्रयुक्त अन्य स्टील की तुलना में अधिक सस्ता और सुरक्षित है। इस स्टील में निकिल धातु नहीं है जो मानव शरीर के लिए हानिकारक है। इस पेटेंट के प्रथम आविष्कारक डॉ. मोहम्मद तल्हा हैं। डॉ. तलहा के साथ, डॉ. अरविंद दीक्षित (डिप्टी जीएम, दूस्लोह बीके कास्टिंग), प्रो. ओ. पी. सिन्हा (आईआईटी बीएचयू), प्रो. सी. के. बेहरा (आईआईटी बीएचयू) और डॉ. अरूप मंडल (एनआईटी दुर्गापुर) भी खोज के आविष्कारक हैं। प्रो. आर. सी. गुप्ता (मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग आईआईटी बीएचयू के पूर्व विभागाध्यक्ष) ने इस शोध के दौरान महत्वपूर्ण सलाह दी। डॉ तल्हा ने स्टील पर काफी शोध किया है। ये खोज भी उसी शोध का एक हिस्सा है जो आईआईटी बीएचयू में उन्होंने अपने शोध कार्य के दौरान किया था जिसे 2022 में पेटेंट के लिए भेजा गया। जून 2024 में पेटेंट अनुदान हो गया। यह स्टील अधिक संक्षारण प्रतिरोधी और जैव अनुकूल है। भारत में इम्प्लांटेबल चिकित्सा उपकरणों का बाजार 2023 में लगभग 109 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था जो 2025 में लगभग 129 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा। यह स्टील देश के स्टील उद्योग और इम्प्लांट निर्माता के लिए बहुत उपयोगी है। कॉलेज प्राचार्य डॉ. राकेश तिवारी, प्रो. सी वी डनसेना, प्रो. प्रियंका राठौड़ और कॉलेज के अन्य सभी प्रोफेसर ने डॉ. तल्हा को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।