Sunday, June 8, 2025

हीरालाल गुप्ता द्वारा लिखित उपन्यास ’23मार्च’ का 23 मार्च को हुआ शानदार विमोचन*

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*हीरालाल गुप्ता द्वारा लिखित उपन्यास ’23मार्च’ का 23 मार्च को हुआ शानदार विमोचन*
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*कार्यक्रम में अतिथियों की विशेष उपस्थिति रही। गणमान्य नागरिकों, गुरूजनों, मित्रों व साहित्यकारों से खचाखच भरा रहा हॉल।*

| रायगढ़ | रायगढ़ जिले के तहसील पुसौर स्थित ग्राम त्रिभौना निवासी नवयुवक हीरालाल गुप्ता की कृति ’23 मार्च’ का 23 मार्च 2024 को विमोचन हुआ। विमोचन समारोह में उपन्यासकार हीरालाल गुप्ता के पिताजी श्री बलराम गुप्ता व माताजी श्रीमती गंगाई गुप्ता तथा परिवार विशेष रूप से उपस्थित रहे।
’23 मार्च’ उपन्यास ग्रामीण पृष्ठभूमि पर पनपे नवयुवा जोड़े की आदर्श प्रेम कहानी पर आधारित है जिसे युवा उपन्यासकार हीरालाल गुप्ता ने लिखा है।
उपन्यासकार हीरालाल गुप्ता का जन्म धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ राज्य में रायगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव त्रिभौना के एक कृषक परिवार में छः भाई बहनों में से पाँचवीं सन्तान के रूप में हुआ। इनके पिता श्री बलराम गुप्ता जी तथा इनकी माताजी श्रीमती गंगाई जी हैं। एक ग्रामीण परिवेश में जन्मे हीरालाल ने गाँवों के सुखद और शांतिमय वातावरण से अपनी शिक्षा प्रारंभ करते हुए डीएड, डीसीए, हिंदी एवं संस्कृत विषय में स्नातकोत्तर की शिक्षा के साथ ही योग विज्ञान में पीजी डिप्लोमा और बीपीएड की उपाधि प्राप्त की है। इनका मुख्य उद्देश्य जन मानस तक योग के महत्व को पहुँचाना रहा है। साथ ही हिंदी साहित्य की अनवरत सेवा भावना इनमें प्रखर रूप से विद्यमान है।
उपरोक्त विमोचन, सम्मान समारोह व गोष्ठी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री शशिभूषण गुप्ता (सेवानिवृत अध्यापक), विशिष्ठ अतिथि श्री नरेन्द्र प्रधान, श्रीमती कांता पटेल, श्रीमती भावना मंडपे, श्री अरविन्द मिश्रा, श्री सुधीर शर्मा, श्री प्रणीत शर्मा, श्री फकीर पटेल, डॉ. सौरभ प्रधान, श्री जय यादव, श्री प्रमेश खरे, श्री राकेश नारायण बंजारे व श्री सुरेन्द्र जेना रहे। अध्यक्षता श्री श्याम नारायण श्रीवास्तव (वरिष्ठ साहित्यकार) व मंच संचालन श्री तेजराम नायक (कवि) द्वारा किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री शशिभूषण गुप्ता ने लेखक के उद्धम की भरपूर सराहना की। उन्होंने कम उम्र में लेखक द्वारा साहित्य सृजन और क्षेत्र को गौरवान्वित करने के लिए खुल कर प्रशंसा की। इस अवसर पर लेखक के माता पिता का भी उन्होंने अभिनंदन किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कहानीकार श्यामनारायण श्रीवास्तव ने उपन्यास की समीक्षात्मक प्रस्तुति दी और लेखक के प्रथम प्रयास की सराहना करते हुए आगे लिखते रहने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम में उपन्यास के भूमिका लेखक राकेश नारायण बंजारे विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा, “उपन्यास में नायक सिद्धार्थ द्वारा कहा गया वाक्य, “अपने अच्छे काम को लोगों की गलत सोच के कारण क्यों बंद करें।” प्रत्येक युवा के लिए सार्वभौमिक संदेश है जो हर अच्छे कार्य करने वाले युवा को अपने कर्तव्य की राह आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।” उन्होंने एक श्रेष्ठ सृजन के लिए लेखक को अनंत बधाइयाँ और कोटिश शुभकामनाएँ देते हुए लेखन सफर जारी रखने को प्रेरित किया।
कार्यक्रम को अन्य अतिथियों ने भी संबोधित करते हुए लेखक को हार्दिक बधाइयॉं और शुभकामनाएँ दीं।
उपन्यासकार श्री हीरालाल गुप्ता ने उपन्यास लेखन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए इस कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर गुरूजनों का सम्मान एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन भी किया गया। काव्य गोष्ठी में सर्वश्री कन्हैया लाल गुप्ता, अजय पटनायक, जयंत यादव, सुखदेव राठिया, साखीगोपाल पण्डा, संतोषी यादव, प्रधान मैडम, काव्य कलश मंच संरक्षक श्री मनमोहन सिंह ठाकुर, संस्थापक श्री पुरूषोत्तम गुप्ता एवं अन्य साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थिति रही।

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